सूर्य कांत त्रिपाठी निराला
“बदली जो उनकी आंखें
इरादा बदल गया।
गुल जैसे चमचमाया कि,
बुलबुल मसल गया।
यह कहने से हवा की
छेड़छाड़ थी मगर
खिलकर सुगंध से किसी का,
दिल बहल गया।”
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की,
“बदली जो उनकी आंखें”
से ली गई चंद पंक्तियां
निराला जी की जन्म
२१ फरवरी १८९६ को,
हुआ मिदनापुर बंगाल में।
हाथ जोड़ शत्-शत् नमन है उनको,
२०२१वें साल में।
पिता,पंडित राम सहाय त्रिपाठी,
माता का नाम था रुक्मिणी।
एक पुत्री का नाम सरोज था,
१८वें साल में उनकी मृत्यु हुई।
उनकी याद में लिखी थी कविता,
नाम था सरोज स्मृति।
बहुत उच्च-कोटि के कवि रहे,
नाम उनका अमर रहे।
इन महान कवि को,
कोटिश नमन है मेरा
प्रणाम करूं मै हाथ जोड़
इनकी कविताओं से,
आया था एक नया सवेरा।
_____✍️गीता
बहुत खूब
धन्यवाद मैम
कवि गीता जी की प्रखर लेखनी ने कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी की सुन्दर स्मृति को प्रस्तुत किया है। बेहद संजीदा कविता है। लाजवाब लेखन है। उच्चस्तरीय काव्य
प्रेरणा प्रदान करती हुई समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद सतीश जी।
अतिसुंदर रचना
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
Very nice
Thank you pragya