स्वच्छ-सिंहस्थ

जैसा की आप जानते है 12 साल में एक बार होने वाला सिंहस्थ इस वर्ष 22 अप्रैल से 21 मई के बीच होगा हज़ारो साधू संत विभिन्न आखाड़े व् लाखों लोग इस भव्य और विशाल आयोजन में शामिल होंगे ।
मध्य प्रदेश शासन ने तैयारियां आरम्भ कर दी हैं
सारी व्यवस्थाएं जोर शोर से की जा रही हैं
शहर के मुख्य मार्गों पर लगे होर्डिंग्स से लेकर पानी के टेंकरों तक पर बस एक बात लिखी है।
“शिप्रा के तट पर अमृत का मेला” सिंहस्थ 2016
प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनोती होगी प्रदूषण को काबू में करने की जो आम लोगों के सहयोग के बिना असंभव है में प्रद्युम्न चौरे एक नागरिक होने के नाते आप सभी से दरख्वास्त करता हूँ के अपनी नदियों को प्रदूषित ना करें फूल किसी गरीब के पैरो के नीचे बिछाय नदियों में नहीं।।
नदियों की स्थिति केसी है इसका अनुमान आप सभी को है।
और उसे सुधारा कैसे जाय ये भी आप भली भांति जानते है तो नीचे लिखी पंक्तियों को गौर से  पढ़ें और सभी नदियों को प्रदूषण मुक्त करने में जिला प्रशासन व प्रदेश प्रशासन का सहयोग करें।।
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आँखे तुझ पर थम गई जब तुझको बहते देखा।

सोच तुझमे रम गई जब तुझको सेहते देखा ।।

अपनी कलकल लहरों से तूने प्रकृति को संवारा है।

सबको शरण में लेती माँ तू तेरा ह्रदय किनारा है।।

हमे तू नजाने कितनी अनमोल चीज़े देती है ।

और बदले में हमसे कूड़ा करकट लेती है।।

खुद बच्चे बन गए,तुझको माँ कह दिया।

तूने भी बिन कुछ कहे हर दर्द को सेह लिया ।।

तेरे जल में कितने जलचर जलमग्न ही रहते है।

और कर्मकाण्ड के हथियारो से जल में ही जलते रहते हैं।।

पहले तुझमे झांक कर लोग खुद को देख जाते थे।

मन और मुँह की प्यास बुझाने तेरे दर पर आते थे।।

मगर आज जब में पास तेरे आता हूँ।

मन विचलित हो उठता है जब खुद को काला पता हूँ।।

तू रोती भी होगी तो हम देख न पाते हैं।

क्योंकि तेरे आंसू तुझसे निकलकर तुझमे ही मिल जाते हैं।।

इतना सब सहकर भी तूने हमे अपनाया है।

और इसीलिए ही शायद तूने माँ का दरजा पाया है।।

ये फूल ये मालायें सब दिखावे का सम्मान है।

हमे माफ़ कर देना माँ हम नासमझ नादान हैं।।

तू जो चली गई तो तुझे ढूंढेंगे कहाँ।

हमे छोड़कर हमसे दूर कभी न जाना माँ।

आशा है आप बात को समझेंगे और नदियों की सुरक्षा में अपना योगदान देंगे।।

शिप्रा के तट पर अमृत का मेला है उसे विष ना बनने दें।।

  • PradumnRc

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