स्वयं जल कर उजाला करना है

जिंदगी में अभाव रहते हैं
मगर तुझे अभाव में सँभलना है,
पैर रख कर कंटीली राहों में
लक्ष्य तक स्वयं पहुंचना है।
बाहरी छोड़ कर सारा दिखावा
आत्मा के स्वरों को सुनना है।
छोड़ कर उलझनें व घबराहट
खूब हिम्मत का मार्ग चुनना है।
ढक सके जो भी मन की पीड़ाएँ
इस तरह का लिबास बुनना है।
सब बढ़ें खूब सारी उन्नति को
तुझे नहीं जलन में भुनना है।
आँसुओं का बहाव आये तो
उसे सुखा सुखा के चलना है,
गर कभी क्रोध खुद में आये तो
उसे रुका रुका के चलना है।
यदि कभी पा सकें सफलता तब
तन जरा सा झुका के चलना है।
अभाव रोकें तेरी राह और भावों को,
तुझे किसी भी तरह भय से नहीं दबना है।
जब कभी घेर ले अंधेरा तब
स्वयं जल कर उजाला करना है,
खूब उत्साह भर निगाहों में
निराशा का दिवाला करना है।

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Responses

  1. “जब कभी घेर ले अंधेरा तब
    स्वयं जल कर उजाला करना है,
    खूब उत्साह भर निगाहों में
    निराशा का दिवाला करना है।”
    ________जीवन में उत्साह के लिए प्रेरित करती हुई कवि सतीश जी की बहुत ही प्रेरणा दायक रचना । बहुत सुंदर लेखन लाजवाब अभिव्यक्ति

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