हँसीन नजारा
ये रंगे – बहारा, ये हँसीन नजारा।
खुदा ने तुझको, फुर्सत से संवारा।
ना मैंने सुना कुछ, ना तुने पुकारा,
समझते हैं तेरी, नजरों का इशारा।
तू बहती धारा, मैं शांत किनारा,
दिल की गहराई में, तुमने उतारा।
मचलते जज्बात पर, न जोर हमारा,
तू भी हँसीन है, और मैं भी कंवारा।
ना मेरा कसुर कुछ, ना दोष तुम्हारा,
यह तो खेल है देखो, वक्त का सारा।
बैठ पास मेरे, करूँ तुझको निहारा,
पल भर की जुदाई, ना मुझे गवारा।
तू मेरी जरूरत और मैं तेरा सहारा,
तू मेरी चाहत, ‘देव’ दीवाना तुम्हारा।
देवेश साखरे ‘देव’
Bahut sundar likha
Thank u so much
थोड़ी चंचल लेकिन सुंदर कविता
धन्यवाद, क्या करूँ श्रृंगार रस में विशेष रुचि है ।
वाह
धन्यवाद
Nice
Thanks
Wah kya khub
शुक्रिया
Good
Thanks