हमें गैरों से भी मोहब्बत है।
हमको गैरों से भी मोहब्बत है,
अकेला तुमसे होता,तो मर जाते।
घर से दूर हैं घर के वास्ते,
वरना हम भी सोचते हैं ,काश घर जाते।
हम खड़े हैं हमने माज़ी से सबक लिया,
वक़्त से अकड़ते ,तो हम भी टूट जाते।
रूठ जाते हैं लोग बात- बेबात मोहब्बत में,
गर तुम मनाते ,तो हम भी रूठ जाते।
इस राखी कलाई सरहदों पर है,
बहन सोचती है काश भाई घर आ जाते।
हमारे बीच ये अनबन पहली मर्तबा तो नहीं,
तुम खाली हाथ भी आते तो हम मान जाते।
मुझे दुःख है तुम मेरे जीत पर ख़ुश नहीं,
गर जानते ,तो हम जिंदगी से हार जाते।।
~ अजित सोनपाल
बहुत ही सुंदर और लाजबाब प्रस्तुत
सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सुंदर
khub
बहुत ही अच्छी
वाह
बहुत खूब