हम तुम्हारे हैं
तुम्हारे कानों के झुमके
बहुत ही प्यारे हैं
तुमने मुस्कुरा के जब कहा
हम तुम्हारे हैं
तुम्हारी बोली मुझको भजन-सी लगी
तुम्हारी हँसी भी
फूलों से प्यारी लगी
तुमने जब कहा हम
बहुत प्यारे हैं
थोड़ी-सी हँसी आ गई मुझको
लाज के मारे
छुप गई मैं तो
तुम्हारे इशारे मुझको प्यारे हैं
चलो कह देते हैं हम भी
हम तुम्हारे हैं….
वाह, बहुत सुन्दर पंक्तियां
बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी हौसलाअफजाई के लिए
सुस्वागतम् प्रज्ञा जी
भाव में कही गई कम शब्दों वाली कविता “हम तुम्हारे है”सफल प्रेम की प्रतीक है।
धन्यवाद
अतिसुंदर भाव