हम दीन-दुःखी, निर्बल, असहाय, प्रभु! माया के अधीन है ।।

हम दीन-दुखी, निर्बल, असहाय, प्रभु माया के अधीन है ।
प्रभु तुम दीनदयाल, दीनानाथ, दुखभंजन आदि प्रभु तेरो नाम है ।
हम माया के दासी, लोभी, भिखारी, दुर्जन, दुष्ट, विकारी प्रभु पापी है ।
प्रभु तुम माया के स्वामी, दाता-विधाता, निर्गुण,निर्विकार, सनातन पुरूष महान हो ।।1।।

हम इन्द्रियों के दासी, भोगी-विलासी, कामी, आताताई,अग्यानी, दुष्ट मानव है।
प्रभु तुम जितेन्द्रिय,गुणों के स्वामी,बुद्धिमान, सकल जगत के स्वामी हो।
हम अहंकारी, इर्ष्यालु, लाभ-हानि, मान-अपमान में फँसे प्रभु तेरो सेवक है ।
उद्धार करो प्रभु, निस्तार करो प्रभु हम तेरो माया के अधीन है ।।2।।

हम भक्षक, मन के चंचल, धरा पे पाप फैलाने वाला प्रभु अधम-नीच है ।
प्रभु तुम रक्षक, मन के स्थिर, धरा पे धर्म फैलाने वाला सज्जन पुरूष महान हो ।
हम पृथ्वीसुत प्रभु तुम प्रथ्वीपति प्रभु ,इस नाते प्रभु हम तेरो बालक है ।
सारे जहां के पिता प्रभु तुम, निज पुत्रों को कल्याण करो प्रभु!।।3।।

हे रामचन्द्र! गणिका के उध्दारक,अहल्या के प्रभु तुम निस्तारक ।
हम कलियुग के प्राणी, काम,क्रोध,मद, व्यसन में फँसे प्रभु तेरो दास है ।
दासों के प्रति प्रभु तेरो करतब बड़़े महान है ।
उध्दार करो प्रभु! निस्तार करो प्रभु! हम तेरो माया के अधीन है ।।4।।
जय श्री राम ।।
कवि विकास कुमार ।।01:34 10/06/2020 जया श्री राम ।।

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Responses

  1. हम दीन-दुखी, निर्बल, असहाय, प्रभु माया के अधीन है ।
    प्रभु तुम दीनदयाल, दीनानाथ, दुखभंजन आदि प्रभु तेरो नाम है ।
    प्लीज कविता के रूप में लिखिए

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