हम माझी हैं मजधार के
पत्थर में डाल प्राण
सेतु हम बनायेंगे
माझी हैं मजधार के
पार ही हो जायेगे
ना रुकेंगे हम कभी
आगे बढ़ते ही जायेगे
सूर्य की आँखों से
आँख हम मिलायेगे
और चल पड़ेगे हम
पवन से भी तेज फिर
बालू के ढेर पर
घरौंदा हम बनायेंगे
आसमानी पंख से
भर लेंगे उड़ान हम
अपने हौसलों से
आगे बढ़ते ही जायेंगे
बहुत खूब, सुन्दर और प्रेरक रचना
धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
धन्यवाद आपका
धन्यवाद