हराम है
कविता -हराम है
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हराम है,
आराम मेरा,
आ आराम करले,
जाॅन हैरान मेरा|
ख्याल रखले,
एक पल मेरी,
तुझसे भिन्न न
पहचान मेरी|
तेरे ख्याल में,
खुद ख्याल खो बैठा हूं,
हे आत्मा-
खुद पहचान बनाने में,
तुमसे पहचान बनना,
आज भूल बैठा हूं|
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***✍ऋषि कुमार “प्रभाकर”—-
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