Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
साहित्य साहित्य है
साहित्य साहित्य है न हार न जीत है, न जद्दोजहद है, न ही संघर्ष है। न दूसरे पर निशाना है, न कोई बहाना है, साहित्य…
ऐसा वक्त कहाँ से लाऊँ
कविता – ऐसा वक्त कहाँ से लाऊं वेफिकरी की अलसाई सी उजली सुबहें काली रातें हकलाने की तुतलाई सी आधी और अधूरी बातें आंगन में…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
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अल्फाज कहां से लाऊं?
दिल में छिपे जो जज्बात है उनके लिए अल्फाज लाऊं कहां से? खुरेडे जा रहे जो मेरे दिल को अंदर ही अंदर उन्हें बयान करने…
लिखने को साहित्य अब
होता है मन बेचैन
इस जीवन की व्यस्तता
लेने ना देती चैन,
लेने ना देती चैन
लिखने को व्याकुल है मन
मन के कागज पर
लिखने को आतुर है तन
हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं।।
आपकी लेखनी बहुत ही शानदार है हमेशा की तरह बहुत ही खूबसूरत रचना आप हर कविता को रहता है बे लगती हैं और पाठक को ह्रदय से पड़ने पर मजबूर कर देते हैं आपकी लेखनी को सलाम है ऐसे ही साहित्य को आगे बढ़ाते रहिए और हिंदी को सफल बनाते रहिए आगे से कभी हो तो हिंदी की दिन पर दिन प्रगति ही होगी आप एक प्रोफेशनल कवि की
भांती लिखती हैं
आपकी योग्यता का अंदाजा लगा पाना किसी के बस की बात नहीं है
धन्यवाद