हार जाना नहीं
हार मिलती है मगर, हार जाना नहीं,
सैकड़ों हार से भी, हार जाना नहीं।
तोड़ दे यदि परिस्थिति, टूट जाना नहीं,
प्यार कर जिन्दगी से, रूठ जाना नहीं।
निराशा घेर लेगी, जब कभी भाव तेरे,
उठेगा दर्द मन मन में, छिलेगा घाव तेरे।
तब भी तू हौसले को, डिगाना मत स्वयं के,
सदा चलते रहें यह, कर्मपथ पांव तेरे।
अश्रु बाहर न निकलें, भाव बिल्कुल न बहकें,
तेरे आँगन में मन के, सदा उगड़न ही चहकें।
न हो सुनसान गालियाँ, न सुनसान आँगन,
सदा होता रहे मन, नया सा रंग रोगन।
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MS Lohaghat - January 25, 2021, 2:18 pm
बहुत ही बढ़िया
Geeta kumari - January 25, 2021, 9:21 pm
“हार मिलती है मगर, हार जाना नहीं,
सैकड़ों हार से भी, हार जाना नहीं तोड़ दे यदि परिस्थिति, टूट जाना नहीं, प्यार कर जिन्दगी से, रूठ जाना नहीं।”
******जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण दर्शाती हुई कवि सतीश जी की बहुत ही सुन्दर और प्रेरक रचना। भाव और शिल्प का बेहतरीन समन्वय ।
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - January 27, 2021, 7:43 pm
बहुत खूब