हास्य ब्यंग्य कविता- थक गया मै |

हास्य ब्यंग्य कविता- थक गया मै |
बढ़ गया लोकडाउन घर मे पक गया मै |
माँजकर बरतन झाड़ू पोंछा थक गया मै |
करता था कभी श्रीमती जी के आराम को |
करके रोज चूल्हा चौकी घर नच गया मै |
बच्चे संभालो खाना बनाओ मैडम खुश है |
फुरसत ना मिले काम कभी झक गया मै |
कब खत्म होगा कोरोना बाजार नजारा होगा |
मिली ना गरम चाय माथा मथ गया मै |
जरूरी है रहना घर मे कोरोना खतरा बाहर|
धो धो कर साबुन हाथ आधा कट गया मै |
कहती श्रीमती जी गए गर बाहर रिपोर्ट करूंगी |
सुन सुन कर बात मैडम नथनी नथ गया मै|
कहती लगे न मन किताब पढ़ो कविता लिखो |
मन ना लगे कविताई आधा झटक गया मै |
बाजार बंद शहर बंद मोहल्ला बंद क्या करे |
बिना शब्जी चटनी बेस्वाद खाना गटक गया मै |
हे प्रभु अब तो रहम करो कोरोना खत्म करो |
खिले हंसी सबके मुख इसी सोच महक गया मै |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557

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