हिन्दी कविता: चिता के फूल

“चिता के फूल”
****************
मेरी नाकामयाबी पर
हँसकर वो चल दिये,
मेरे ऊपर लानत के
हजार कथन वह कह गये…
हम भी चल दिये…
इस जहान से
नाउम्मीदी का एक बोझ लेकर,
मेरी अर्थी के फूल वो
मुस्कुराकर
सजाकर चल दिये…
ना रोंका मुझे,
ना रोये चिता पर
बस एक अविस्मरणीय
मुस्कान से विदा करके मुझे वो चल दिये…
हम तड़प रहे थे
जलती लकड़ियों के सुलगते धुंए में!
वो हाथ लहराकर खुशी से चल दिये…
कितना क्या सोंचा था !
पर उन्हें इतना बेरहम ना सोंचा था
मेरी चिता के फूल’
अभी ठण्डे भी ना हुए होंगे
और वो मेंहदी लगाकर चल दिये….

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. “मेरी चिता के फूल’अभी ठण्डे भी ना हुए होंगेऔर वो मेंहदी लगाकर चल दिये….”
    कवियित्री की कोमल भावनाओं को अभिव्यक्त करती हुई बहुत मार्मिक रचना

New Report

Close