ज़माना बदल गया
वो ज़माना गया जब एक
नारी अपने हक़ के लिए लड़ा करती थी।
वो ज़माना गया जब एक नारी
अपनी जगह बनाने के लिए मरा करती थी।
आज की नारी इतनी सक्षम है
कि गलत को गलत कह सके
आज की नारी इतनी सक्षम है
कि गलत को सही कर सके ।
उसके खिलाफ खड़े होने वालों को
करारा जवाब दे सके
हर चीज़ मे दोषी मानने वालों को
तिनके की तरह उछाल सके।
प्यार करो तो
प्यार देने में वो पीछे नहीं
इज़्जत दो तो
इज़्जत देने मे वो पीछे नही।
अात्मनिर्भर है आज की नारी
उसे अपनी खुद्दारी है बहुत प्यारी
चुप नहीं बैठेगी अबला नहीं है
ईंट का जवाब पत्थर से देगी
सबला वही है।
फर्ज़ निभाना जानती है तो
पलट वार भी कर सकती है
सेवा करना जानती है तो
भस्म भी कर सकती है।
उसे दुनिया में कमज़ोर
न समझ ऐ इंसान
दुनिया की है यह हकीकत
उसकी है अपनी अलग पहचान ।
very nice poem 🙂
Good
Nice