“ज़माने के पास”

ज़माने के पास खुशियों का सागर होगा
मगर हम तो इसकी एक बूँद को भी तरसे है

निकले है हर उस वक़्त हमारे आँखों से आंसू साहिब
जब भी ये बादल झूम-झूम कर बरसे है।

देव कुमार

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