“ღ महबूब ღ”
मेरे महबूब के जलवों की तो, पूरी दुनिया ही दीवानी है,
ये जहाँ जो इक गुलिस्ताँ है, इसकी वो रात-रानी है;
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चाल है गज़ालों सी, रुख में मौजों सी रवानी है,
होंठों पे शबनम का बसेरा है, आँखें मैखानों की निशानी हैं;
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रंगत में धूप सी चमक है, जुल्फें हैं स्याह रातों सी,
जहाँ भर के हसीनों में, उसके चर्चे ज़ुबानी हैं;
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माना ये ख्वाब दिलकश है ‘अक्स’, ज़द में रह के देखो तो अच्छा है,
अमूमन तो ये ख्वाब पूरे नहीं होते, हो जाएँ तो ख़ुदा की मेहरबानी है!…….#अक्स
बेहतरीन गज़ ल
शुक्रिया भाई …:)
awesome poem ankit
thank u Anjali ji 🙂
awesome..! Aur kya shabd chune hein..! kamaal..! 🙂
millions of thanks to uu Nirala ji for ur valuable appreciation !!…….bs ek choti si koshish ki h…..apko or baki logo ko pasand aayi……koshish safal ho gyi !! 🙂
nice poem!
Thanks a lottttt……..Sonia Ji 🙂
kyaa baat h….
bahut-2 shukriya….ankit bhai 🙂
बेहतरीन गज़ल भाई….
हौसला-अफज़ाई के लिए बहुत-२ शुक्रिया भाई…..:)
very nice ghazal 🙂 🙂
thank uu…..chalo apne padha to sahi…..!! 🙂
होंठों पे शबनम का बसेरा है, आँखें मैखानों की निशानी हैं;
Very nice
रंगत में धूप सी चमक है, जुल्फें हैं स्याह रातों सी,
जहाँ भर के हसीनों में, उसके चर्चे ज़ुबानी हैं;
. बहुत सुंदर पंक्तियां