????आजादी मुबारक हो????

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तोते पिंजरे जैसी बोली, खूब बढ़ी आबादी है,
पंछी के पर काट दिए है, ये कैसी आजादी है।

आजादी ये रूला रही है अब भी भूखे प्यासों को,
जाने क्यों ये भुला रही है अब भी भूखे प्यासों को,,

आधी आबादी ये अब भी भूख-भूख चिल्लाती है,
तन से मन से खाली रहती सब को ही झल्लाती है,,

हमने सूखी चिंगारी से, डरते कोई देखा है,
हमने एक निवाले खातिर, मरते कोई देखा है,,

जन गण मन में बसने वाले, सपने अभी अधूरे है,
भारत सत्ता पाने वाले, अपने अभी अधूरे है,,

दागी पाये राजमुकुट को, ये बर्बादी आई है,
चंद भिखमंगो के लिए ही ये आजादी आई है।

दम्भी दम्भ भरते है किन्तु, कोई बोल न पाता है,
हिम्मत करके जो भी बोला, केवल मारा जाता है।

आजादी तो सिर्फ मिली है, साजिश बुनने वालो को,
बिना खड्ग और बिना ढाल के गीत सुनने वालो को,

भारत में भी उस दिन मानो, सच्चा शासन आयेगा,
जिस दिन सच्चा सैनिक कोई, भारत गद्दी पायेगा,,

भूखे को रोटी जब देखो, घर- घर तक पहुँचाओगे,
मानो उस दिन भारत में तुम,सच्चा शासन लाओगे।
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-मन्जीत सिंह अवतार —

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