सोचती हूँ कल तुम क्या थे
आज क्या हो गए हो
पहले तो कहा करते थे
चौदहवीं के चाँद हो तुम
मेरी धड़कन की साज हो तुम
कहाँ गयी तुम्हारी अदा की वो बातें
वो कसमे वो बुलंद इरादे
क्या इसी दिन के लिए
तुमने मुझे अपनाया था।
मैने तुम्हे अपनी जुल्फों में
कैद कर के इसलिए रखी थी कि,
बुरे वक्त में तुम मुझे साथ दोगे
ज़माने के बीच तुम मुझे अपनाओगे
वाह !!! मुहब्बत करने का क्या यही अंजाम है ?????????
दिलजले
