लाॅकडाउन में लाॅकजीवन
लाॅकडाउन में लाॅकजीवन ,आखिर कब तक चले।
कोरोना का असर सब पे भारी, हम तुम हाथ मले ।।
सब कुछ चाह कर भी ए दोस्त, कहाँ कुछ कर पाए।
जो भी कुछ था हमारे पास ,अब कोरोना के हो चले।।
थी जुस्तजू दिल को मगर ,कोरोना के गम मिल गए।
मिलि थी खुशी हमे, बे-खौफ रोटी तलाशने परदेश चले।।
👌👌
Nice
वाह
Good