सावन में
लौट कर आयें है हम सावन पर
सावन के महीने में
घटायें हो घनघोर
बरस रही हैं
शुष्क धरा पर
दे रहीं है जन्म
हरित काया को
सावन के महीने में
हम भीं दे कुछ योगदान
होगा नहीं उत्तम?
अगर कुछ ले ले जन्म
ह्र्दय की धरा पर भी
बन जाये कोई कविता
सावन में, सावन पर
दे रहीं है जन्म
हरित काया को
सावन के महीने में
Waah, बनी रहे।
Nice poetry
ह्रदय
बनी रहे
Laut kar Aaye Hain Ham Kya Baat Hai