स्वविजय करें
35: *स्वविजय करो *
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स्वयं दीप बनों ।
स्वयं नियमन करो ।।
सभ्य, ज्ञानी, जागरूक हो तुम ।
खुद,खुद का संचलन करो ।।
परस्पर सुरक्षित दूरी का,ध्यान रखते हुए ।
खुद सतर्क रहो ,नियमों का अनुसरण करो।।
खुद के रणक्षेत्र में,योद्धा बने हो तुम ।
खुद की नीतियों से, खुद के पथ पे ,स्व विजय करो।।
जोखिम भरा ये जीवन ,इच्छाओं का कर तर्पण ।
खुद, खुद की लगा पाबंदी,मानवता का संरक्षण करो ।
* सुमन आर्या *
Bahut khoob Suman jee
बहुत बहुत धन्यवाद
आत्मनिर्भर बनने का सन्देश देती हुई सफल प्रस्तुति👏👏
बहुत बहुत धन्यवाद
Atisunder
धन्यवाद
सुन्दर काव्य
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह,सुमन जी बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह वाह, क्या बात है बहुत सुंदर
आभार ज्ञापित करती हूँ
आत्मनिर्भर भारत का स्वरूप रखती हुई परिपूर्ण रचना
achchi hai
आत्मनिर्भर बनने का सन्देश देती हुई सफल कविता