मेरी बिटिया

December 15, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

🧕 मेरी बिटिया🧕
By Naveen Dwivedi

दिल रो रहा है टूट कर,
कैसी होगी मेरी बेटी ?

इस पातक भरे समाज मे,
खा जाते हैं बोटी-बोटी।
कैसी होगी मेरी बेटी ?

जब छोटी-सी थी वो,
अपने सपने देखे थे।
अम्मा,बापू व परिजन के,
प्रेम में रहती लोटी लोटी।
कैसी होगी मेरी बेटी ?

हुई बड़ी जब अपने आँगन में,
सुमनों सा यौवन था।
फिर समाज की घृणित आँख से,
करते उसको टोका टोकी।
कैसी होगी मेरी बेटी ?

क्या पता था कि ,इक
ऐसा भी दिन आऐगा।
खीच रहा होगा जब चीर दुशासन,
गुल होंगी समाज की सिट्टी पिट्टी।
कैसी होगी मेरी बेटी ?

चीखी भी चिल्लाई थी,
आंखे मौन हुई सब देखी थी।
भीख मांगती थी जीवन की,
कहती सबसे रोती-रोती ।
कैसी होगी मेरी बेटी ?

कैसे सोया होगा आसमां,
कैसी सोई होगी ज़मी।
घर आँगन सब सूना,
लिपट रूह से जब ‘माँ’ है रोती।
कैसी होगी मेरी बेटी ?
कैसी होगी मेरी बेटी ?