Alisha Patel
भटकते फिर रहे हैं जंगलों में शांति के पंछी
February 26, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता
भटकते फिर रहे हैं जंगलों में शांति के पंछी,
इन्हें दो आसरा मत व्यर्थ में बातें बनाओ तुम,
सरकते जा रहे इन पेड़ों के घरोंदों से ये पंछी,
इन्हें दो सहारा मत अर्थ की रातेँ बनाओ तुम,
हो चुकी कैद ऐ बा-मुशक्क्त की सज़ा पूरी पंछी,
इन्हें दो किनारा मत स्वार्थ ही गाके सुनाओ तुम।।