Anuj Kaushik
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Pragya Shukla wrote a new post, ख्वाहिशे 5 months ago
रोती हैं ख्वाहिशे और तन्हाई मुस्कुराती है
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जब कभी भी हम तुझको याद किया करते हैं। -
मोहन सिंह मानुष wrote a new post, हां मान लेता हूं… 5 months, 3 weeks ago
हां मान लेता हूं ,
अब नहीं होता ,पहले जैसा,
बार-बार वो इजहार करना ,
मगर मैं उस कस्तूरी-सा
जो कपड़ा फट जाए ,
मगर खुशबू नहीं छोड़े। -
Prayag Dharmani wrote a new post, तस्वीर हुआ जाता हूँ.. 6 months ago
‘दे दे कोई तदबीर मुझे हरकत में रहने की,
मैं उसके तसव्वुर में तस्वीर हुआ जाता हूँ..’– प्रयाग
मायने :
तदबीर – तरकीब/उपाय
तसव्वुर – सोच/विचार -
Satish Pandey wrote a new post, गौरा-महेश्वर पूजने 6 months ago
बरस रहा है भाद्रपद
रिम-झिम बरसता जा रहा है
इस मनोरम मास में
गौरा-महेश्वर सज रहे हैं।
इन पहाड़ों के शिखर
शिवलिंग जैसे लग रहे हैं,
गौरा-महेश्वर पूजने
घर-घर विरुड़ भीगे हुए हैं।
नारियां बाहों मे […] -
Anuj Kaushik wrote a new post, तेरी अदा 6 months, 1 week ago
सावन की बदरी सी बरसी
जो तेरे जुल्फो से बूंदे,
कच्चे मकां सा मेरा
ये दिल ढह गया।।मदिरा के जाम सी छलकी
जो तेरी आंखों से मस्ती,
शराबी सा बदन मेरा
ये झूमता ही रह गया।।पूनम के च […]
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मोहन सिंह मानुष wrote a new post, नाग-सा अभिमान शायरी 6 months, 1 week ago
मुझे निगलने चला था ,
नाग-सा अभिमान मेरा,
मगर मोर से संस्कार;
मेरी मां के ,
मुझे बचा लेते हैं। -
Prayag Dharmani wrote a new post, आबो-हवा 6 months, 2 weeks ago
‘कुछ दुआ का असर है, कुछ दवा का असर है
या फिर ये तेरे शहर की हवा का असर है..
दस्तकें देने लगी मोहब्बत ज़िन्दगी में अब,
ये तेरे और मेरे दरमियां का असर है..’– प्रयाग
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Prabhat Pandey wrote a new post, गांव की ज़िन्दगी ,अब पहले जैसी नहीं…. 6 months, 2 weeks ago
गांव की ज़िन्दगी ,अब पहले जैसी नहीं
जहाँ रिश्ते तो हैं ,वह मिठास नहीं
जहाँ मिट्टी तो है ,पर खुशबू नहीं
जहाँ तालाब तो है ,पर पानी नहीं
जहाँ आम बौराते तो हैं ,पर सुगन्ध का महकना नहीं
गांव की ज़िन्दगी ,अब […] -
Prayag Dharmani wrote a new post, तस्वीर 6 months, 2 weeks ago
लगाकर सीने से फिरता हूँ मैं तस्वीर तेरी,
ये वो वजह है जिससे दिल मेरा धड़कता है..‘प्रयाग धर्मानी’
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Shiwani Maurya wrote a new post, नटखट, ओ लल्ला मोरे 6 months, 3 weeks ago
नटखट, ओ लल्ला मोरे तू काहें मोहे खिझायों।
संग सखा तू पुनि-पुनि मटकी पर नज़र लगायो।।
सब ग्वालन से मिलकर झटपट माखन खायो।
नटखट ओ लल्ला मोरे तू काहें मोहे खिझायों।।मैया, ओ प्यारी मैया मैं म […]
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जिन्हें भी पसंद आये
Like, comment जरूर करे। -
Very nice poem.
Good keep it up.
👌👌 -
सुंदर भाव
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Wow these lines are too good…
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Looking forward to get more such things from you!!
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बेहतरीन
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अच्छी रचना
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Very nice poem❤❤
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Good Nice lines Keep it up👌🏻👏
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Impressive!!
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ʘ‿ʘ So cool🤩
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बेहद सुंदर रचना है।
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इस रचना से श्री कृष्ण के बाल युग का सलोनापन दिखाई देता है।
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Anuj Kaushik wrote a new post, मेरे लफ्ज़ 7 months ago
कैसे और किससे करें
हम जिक्र ए गम,
लफ़्ज दबे बैठे हैं,
उनको भी है ये भ्रम।।सुनने को कोई उनको
शायद ही यहां रुकेगा,
कोई तो सुनके उनको
फिर से अनसुना करेगा।।लफ्ज़ आ रहें जुबां पर,
कहने दास्तां ए गम
फिर […]-
वाह वाह बहुत खूब
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आपके प्यार के लिए धन्यवाद सर।
सावन पर ये मेरी पहली रचना है।
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लफ्जों का मानवीकरण किया गया है।
उत्तम शब्दावली -
धन्यवाद सर
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सुन्दर और सटीक शब्दों का प्रयोग।
वाक्यांश में पूर्ण सौष्ठव। दिमाग की बत्ती जलाने वाली कविता।
सुन्दर प्रयास। हार्दिक स्वागत। -
कवि का दर्द बहुत ही गहरा है जिसको बयां करना बड़ा मुश्किल लग रहा है
बेहतरीन प्रस्तुति -
कवि की भावनाओं की खूबसूरत प्रस्तुति
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बहुत बहुत धन्यवाद व आभार प्यारे
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सर सलाम करता हूँ
🙏🙏🙏🙏🙏
जहाँ न पहले रवि
वहाँ पहले कवि 💐🙏🙏🙏-
प्रणाम सर,
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मोहन सिंह मानुष wrote a new post, मजदूर हूं मैं ! 7 months, 2 weeks ago
मजदूर हूं मैं
जरूरत तो पड़ेगी मेरी ,
क्योंकि मैं निर्माता हूं ।
माना झोली खाली है मेरी,
मजदूरी करके खाता हूं।
बहा कर खून-पसीना ;
खुशहाल देश बनाता हूं।पूछो उन दीवारों से,
भवनों से, मीनारों से, […]-
काश कविता में और गहड़ाई होता। रचना अच्छी है।
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अगर आपका मतलब गहराई से है ( गहड़ाई)
तो उसके लिए आपको कविता में अपने आप को मज़दूर की तरह समझना पड़ेगा ,फिर देखो कैसे नहीं आती गहराई!
बाकी समीक्षा के बहुत बहुत आभार! -
सुन्दर और यथार्थ चित्रण
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बहुत-बहुत आभार धन्यवाद 🙏😊
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बेहद सुन्दर काव्य रचना, जैसा कि विनय जी ने कहा है, यथार्थ का सटीक चित्रण
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बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏😊
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सुन्दर रचना
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धन्यवाद 🙏
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मजदूर की व्यथा को प्रदर्शित करती हुई सुंदर रचना
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यथार्थ परक
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Geeta kumari wrote a new post, मेरा मन 7 months, 2 weeks ago
सोना तपा कुंदन बना,
कुंदन तप के राख
मैं तपी तपती रही,
कुंदन बनी ना राख
बरखा ऋतु आई,
आई नई कोंपल हर शाख
मेरे मन भी उठी उमंगें,
छू लूं मैं आकाश
वाह वाह
अति सुन्दर
सुंदर
बहुत खूब
बहुत ही ूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूूू
उम्दा
याद पर बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियां