सूनापन

May 27, 2020 in काव्य प्रतियोगिता

आकर अंधेरों में डराता है सूनापन मुझे सहारा चाहिए चिल्लाता है सूनापन एक ऐसा सहारा जो हर कदम पर साथ रहे मैं जब भी डगमगाऊ संभालने मैं उसका हाथ रहे। जो नदियों के भीतर का सौंदर्य मुझे दिखाएं जो आसमां के पार तलक मुझे ले जाए पहाड़ों के ऊपर नदियों के भीतर दूर बहुत दूर ले जाता है सूनापन । जो शब्द हीन होकर भी बोलने में समर्थ हो जो दिल की बात मन से तोलने में समर्थ हो जो बता जाएगी जिंदगी क्यों जी रही हूं मैं गम और दुख आखिर क्यों पी रही हूं मैं ऐसे सवाल कर दिल के द्वार खटखटाता है सूनापन मुझे सहारा चाहिए चिल्लाता है सूनापन