माँ

August 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

रूठ जाता हु कभी अगर
कोई नहीं आता माँ,
तेरे सिवा मनाने के लिए;
घाव गहरे है मेरे;
कोई नहीं आता माँ;
तेरे सिवा सहलाने के लिए;..
अक्सर भटक जाता हु मैं;
कोई नहीं आता माँ;
तेरे सिवा राह दिखाने के लिए..;
उदास रहता हु अगर कभी;
कोई नहीं आता माँ;
तेरे सिवा हसाने के लिए…
माँ सिर्फ तू आती है ;
और कोई नहीं आता,
मेरे पास खुशियाँ बरसाने के लिए.