मोहन सिंह मानुष
-
Geeta kumari wrote a new post, *नेकी* 1 day, 11 hours ago
नेकी कर दरिया में डाल,
यह कहावत बड़ी कमाल।
आओ सुनाऊं एक कहानी,
नेकी करने की उसने ठानी।
उस ने नेकी कर दरिया में डाली,
वह नेकी एक मछली ने खा ली।
नेकी खाकर मछली हो गई,
खुशियों से ओत प्रोत।
नेकी कर और ब […] -
Geeta kumari wrote a new post, मुस्कुराना 3 days, 22 hours ago
मुस्कुरा कर बोलना,
इन्सानियत का जेवर है।
यूं तेवर न दिखलाया करो,
हम करते रहते हैं इंतज़ार आपका,
यू इंतजार न करवाया करो।
माना गुस्से में लगते हो,
बहुत ख़ूबसूरत तुम
पर हर समय गुस्से में न आया करो।
बिन खता क […]-
मुस्कुरा कर बोलना,
इन्सानियत का जेवर है।
यूं तेवर न दिखलाया करो,
हम करते रहते हैं इंतज़ार आपका,
– रोमानियत अंदाज की बहुत खूबसूरत पंक्तियां। मुस्कुराने को प्रेरित करती शानदार रचना। बेहतरीन शिल्प, खूबसूरत भाव।-
इतनी सुन्दर और प्रेरणा देती हुई समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत
बहुत धन्यवाद सतीश जी।आपकी समीक्षा वास्तव में कवि हृदय में उत्साह का संचार करती हैं, हार्दिक आभार सर
-
-
अतिसुंदर भाव
-
बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी 🙏
-
-
मुस्कराहट दिलों को जोड़ती है,
क्रोध रिश्ते, इज्जत और दिल सबकुछ खत्म कर देता है
सुंदर रचना-
समीक्षा के लिए धन्यवाद सर 🙏
-
-
सुंदर रचना गीताजी। वैसे देखा जाए तो सही मायने में मुस्कुराहट की कीमत तेवर झेलने बाद ही तो समझ आती है !
-
समीक्षा हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद अनु जी
-
-
सर्वश्रेष्ठ कवि, सर्वश्रेष्ठ आलोचक और सर्वश्रेष्ठ सदस्य सम्मान की बहुत बहुत बधाई गीता जी।
-
बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी 🙏
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, जीवन 4 days ago
सब्र की जरूरत है,
समय सब कुछ बदलता है।
परिवर्तनशील इस संसार में,
सांझ तक सूर्य भी ढलता है।
जीवन में श्रेष्ठ कर्म करो,
यह रामायण सिखाती है।
द्वेष,बैर भाव और लालच को,
महाभारत दर्शाती है।
महाभारत ग्रंथ ने […]-
सब्र की जरूरत है,
समय सब कुछ बदलता है।
परिवर्तनशील इस संसार में,
सांझ तक सूर्य भी ढलता है।
— आपकी रचना बहुत श्रेष्ठ रचना है। शिल्प व भाषा का सुन्दर समन्वय। जीवन दर्शन से समाहित अद्भुत समन्वय-
आपकी इस उत्कृष्ट और प्रेरक समीक्षा हेतु धन्यवाद करने को शब्द नहीं मिल रहे हैं सतीश जी।इस सुंदर समीक्षा के लिए आपका हार्दिक आभार सर
-
-
बहुत सुंदर
-
धन्यवाद भाई जी 🙏
-
-
धीरज सफलता की कुंजी है
बहुत खूब-
धन्यवाद सर 🙏
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, वह बेटी बन कर आई है 4 days ago
एक युवती बन कर बेटी,
मेरे घर आई है।
अपने खेल खिलौने माँ के घर छोड़कर,
हाथों में लगाकर मेहंदी
और लाल चुनर ओढ़ कर
मेरे घर आई है।
छम छम घूमा करती होगी,
माँ के घर छोटी गुड़िया सी
झांझर झनकाकर, चूड़ि […]-
एक युवती बन कर बेटी,
मेरे घर आई है।
अपने खेल खिलौने माँ के घर छोड़कर,
हाथों में लगाकर मेहंदी
और लाल चुनर ओढ़ कर
मेरे घर आई है।
—— बहुत खूब, बेहतरीन रचना, भाव व शिल्प का अद्भुत समन्वय -
बहुत सुंदर और प्रेरक समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सर
-
अतिसुंदर भाव
-
सादर आभार भाई जी 🙏
-
-
बेटी
बचपन की यादों को
संजोकर
चली ससुराल-
आभार सर🙏
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, राधा मोहन गीत 4 days, 22 hours ago
कान्हा ने बोला राधा से,
तेरी ये अखियां कजरारी।
मन मोह लेती हैं मेरा प्यारी,
इठलाती फिर राधा बोली।
मोहन तुम्हारी मीठी बोली,
हर लेती है हिय को मेरे,
भागी भागी आती हूं सुन, […]-
राधाकृष्णन का मधुर वार्तालाप
बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण-
सुन्दर समीक्षा हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद सर 🙏
-
-
राधे राधे
बहुत सुन्दर भाव-
धन्यवाद अनु जी। राधे राधे
-
-
भागी भागी आती हूं सुन,
मीठी तेरी बंसी की धुन।
कान्हा बोले मृदुल भाषिणी,
सुन मेरी सौन्दर्य राषिणी
—– कवि गीता जी की बहुत सुंदर कविता है यह। भाव की मधुरिमा पाठक हृदय में मिठास का संचार करने में पूरी तरह सक्षम है। शिल्प भी श्रेष्ठ भाव भी उत्तम, अभिव्यक्ति और भी लाजवाब। बहुत खूब-
कविता की इतनी सुंदर और उत्साह वर्धक समीक्षा एक विद्वत ही कर सकता है। आपकी कलम से निकली इस सुंदर एवं उत्साह प्रदान करती हुई समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी।कविता के भाव को अच्छी प्रकार से समझने के लिए अभिवादन सर
-
-
अतिसुंदर भाव
-
शुक्रिया भाई जी
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, शान्ति का पथ 5 days ago
क्रोध हर लेता है मति,
करता है तन-मन की क्षति।
क्रोध की ज्वाला में न जल,
क्रोध तुझे खाएगा प्रति पल।
क्रोध का विष मत पीना,
मुश्किल हो जाए जीना।
छवि नहीं देख पाता है कोई,
कभी उबलते जल में।
सच्चाई ना देख स […]-
शान्ति में ही है तेरी भलाई।
शान्ति का पथ अपना ले,
शान्ति की शक्ति पहचान
शान्ति में ही सुख मिलेगा
— शांति के पथ पर चलने की प्रेरणा देती कवि गीता जी की उच्चस्तरीय रचना है यह। शिल्प व भाव दोनों ही बहुत सुंदर हैं। लेखनी की यह निरंतरता सदैव ही बनी रहे। -
उत्साहवर्धक और प्रेरणादायक समीक्षा हेतु आपका हार्दिक स्वागत और धन्यवाद सतीश जी🙏
-
बहुत सुंदर
-
धन्यवाद भाई जी 🙏
-
-
-
Pt, vinay shastri 'vinaychand' wrote a new post, उदास खिलौना : बाल कबिता 5 days ago
मेरी गुड़िया रानी आखिर
क्यों बैठी है गुमसुम होकर।
हो उदास ये पूछ रहे हैं
तेरे खिलौने कुछ कुछ रोकर।।
कुछ खाओ और मुझे खिलाओ
‘चंदा मामा….’ गा-गाकर।
तुम गाओ मैं नाचूँ संग- संग
डम -डम ड्रम बजाकर ।। […]-
छोटी सी गुड़िया रानी पर बहुत सुंदर कविता
-
बहुत बहुत शुक्रिया बहिन
-
-
कवि शास्त्री जी की बेहतरीन रचना। कवि ने प्यारी गुड़िया से जुड़ी बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति की है। कविता में कोमलता है, स्नेह की व्यापकता है औऱ बहुत मधुरता है। वाह
चंदा मामा….’ गा-गाकर।
तुम गाओ मैं नाचूँ संग- संग
डम -डम ड्रम बजाकर ।।
वश मुन्नी तू इतना कर दे।-
बहुत बहुत धन्यवाद पाण्डेयजी इतनी सुंदर समीक्षा हेतु
-
-
मासूम गुड़िया की नटखट हरकतों पर बहुत सुंदर रचना
-
धन्यवाद प्रभु
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, स्नेह की संजीवनी 5 days, 21 hours ago
जब हर ओर निराशा हो,
आशा की किरण दिखा देना।
जब राहों में हो घोर निशा,
दीपक बन कोई राह दिखा देना।
कोई साथ दे ना दे,
तुम अपना हाथ बढ़ा देना।
दर्द में जब कोई तड़प रहा हो,
स्नेह की संजीवनी पिला देना।
बनकर पथ प् […]-
अतिसुंदर भाव
-
बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी 🙏
-
-
जब हर ओर निराशा हो,
आशा की किरण दिखा देना।
जब राहों में हो घोर निशा,
दीपक बन कोई राह दिखा देना।
—— कवि गीता जी की एक एक पंक्ति बहुत लाजवाब है। कविता में मौलिकता है। आदर्श है। कम शब्दों में बड़ी बात कही गयी है।-
कविता की इतनी सुंदर समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।आपकी लेखनी से निकली इस प्रेरक समीक्षा हेतु तहे दिल से शुक्रिया
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, लालच वृद्धि करता प्रति पल 5 days, 21 hours ago
जंगल का दोहन कर डाला,
इन्सान तेरे लालच ने।
कुदरत के बनाए पशु-पक्षी भी ना छोड़े,
इन्सान तेरे लालच ने।
हाथी के दांत तोड़े,
मयूर के पंख न छोड़े
मासूम से खरगोश की
नर्म खाल भी नोच डाली […]-
अतिसुंदर रचना
-
सादर धन्यवाद भाई जी बहुत-बहुत आभार 🙏
-
-
सुंदर पक्षी ना शुद्ध पवन
कैसा होगा अपना कल।
लगा लगाम लालच पर अपने
सोच यही होगा इसका फ़ल।।
अद्भुत लेखन, लाजवाब कविता। वास्तविकता को पूरी तन्मयता के साथ प्रस्तुत किया गया है। भाषा सरल व सहज है। वाह-
इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी।
आपकी दी हुई समीक्षाएं सदैव ही उत्साहवर्धन करती हैं।
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, क्या पता .. 6 days, 16 hours ago
किस मोड़ पर मंज़िल
कर रही है इन्तज़ार,
क्या पता …
किस राह में हो जाए
दीदार-ए यार
क्या पता…
जीत एक रास्ता है,
हार एक अनुभव
है जीवन का।
कल क्या हो,
किसी को क्या पता…
____✍️गीता-
Nice
-
Thanks for your nice compliment .
-
-
वाह
-
आभार भाई जी🙏
-
-
किस मोड़ पर मंज़िल
कर रही है इन्तज़ार,
क्या पता …
किस राह में हो जाए
——– बहुत ही सुंदर रचना। उच्चस्तरीय भाव।-
प्रेरक और उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी
-
-
सच है गीता जी कल किसने देखा है। किंतु आज को संवारने की कोशिश ज़रूर हमारे हाथों में है।
-
धन्यवाद अनु जी
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, वह एक मज़दूर है 6 days, 22 hours ago
भवन बनाए आलीशान,
फ़िर भी उसके रहने को
नहीं है उसका एक मकान।
झोपड़पट्टी में रहने को मजबूर है
हाँ, वह एक मज़दूर है।
मेहनत करता है दिन रात,
फ़िर भी खाली उसके हाथ।
रूखी- सूखी खाकर वह तो,
रोज काम पर जाता ह […]-
हाँ, वह एक मज़दूर है।
मेहनत करता है दिन रात,
फ़िर भी खाली उसके हाथ।मजदूर की व्यथा की बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण
-
धन्यवाद सर 🙏
-
-
Bahut hi khubsurat Rachana, mujhe bahut acchi lagi
-
बहुत-बहुत धन्यवाद सर 🙏
-
-
बहुत खूब
-
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
-
-
भवन बनाए आलीशान,
फ़िर भी उसके रहने को
नहीं है उसका एक मकान।
झोपड़पट्टी में रहने को मजबूर है
——- बहुत खूब, अति उत्तम रचना।-
समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, एक अजन्मी की दास्तान 1 week ago
सुन्दर सपने देख रही थी,
अपनी माँ की कोख में।
मात-पिता का प्यार मिलेगा,
भाई का भी स्नेह मिलेगा
यह सब सुख से सोच रही थी,
सहसा समझ में आया कि
एक कैंची मुझको नोंच रही थी।
क्यों कैंची से कटवाया,
मुझको म […]-
यह सब सुख से सोच रही थी,
सहसा समझ में आया कि
एक कैंची मुझको नोंच रही थी।
क्यों कैंची से कटवाया,🙏
-
धन्यवाद सर 🙏
-
-
बहुत ही मार्मिक चित्रण
-
धन्यवाद सुमन जी
-
-
संवेदनशील विषय पर मार्मिक वर्णन
-
धन्यवाद अनु जी
-
-
कन्या भ्रूण हत्या पर प्रहार करती बहुत सुंदर रचना। मानव जीवन मे व्याप्त बुराई को मार्मिक तरीके से उजागर किया गया है।
-
-
Geeta kumari wrote a new post, माँ 1 week ago
अपनी माँ को छोड़ कर,
वृद्धाश्रम के द्वार पर।
जैसे ही वो बेटा अपनी कार में आया,
माँ के कपड़ों का थैला,
उसने वहीं पर पाया।
कुछ सोचकर थैला उठाकर,
वृद्धाश्रम के द्वार पर आया।
बूढ़ा दरबान देख कर बोला,
अब क्या […] -
Geeta kumari wrote a new post, फूलों की महफ़िल 1 week, 1 day ago
सब फूलों ने मिलकर,
महफ़िल एक सजाई।
किस की सबसे सुन्दर रंगत,
और किस की महक मन भायी।
बेला चमेली और मोगरा ने महक कर,
वेणी खूब सजाई।
गेंदा और गुलाब ने,
मन्दिर में धूम मचाई।
हरसिंगार के फूलों […] -
Geeta kumari wrote a new post, सागर और सरिता 1 week, 1 day ago
सागर ने सरिता से पूछा,
क्यों भाग-भाग कर आती हो।
कितने जंगल वन-उपवन,
तुम लांघ-लांघ कर आती हो।
बस केवल खारा पानी हूं,
तुमको भी खारा कर दूं।
मीठे जल की तुम
मीठी सी सरिता,
क्यों लहराती आती हो।
नि:शब्द ह […]-
बस केवल खारा पानी हूं,
तुमको भी खारा कर दूं।अंधा प्रेम
बहुत सुंदर -
बहुत बढिया
-
धन्यवाद अनु जी
-
-
बोली तुम हो कुछ ख़ास।
ऐसा हुआ मुझे आभास,
विशाल ह्रदय है तुम्हारा।
फैली हैं दोनों बाहें
देख, हृदय हर्षित होता है।
आ जाती हूं पार कर के,
कठिन कंटीली राहें।।
—- वाह क्या बात है। आपकी कविता में अत्यंत गहरे भाव समाहित हैं। उत्तम शिल्प, खूबसूरत भाषा-
कविता की गहराई को समझने के लिए और इतनी सुंदर समीक्षा के जरिए उत्साहवर्धन करने हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, बसन्त का आगमन 1 week, 2 days ago
हवाओं ने मौसम का,
रूख़ बदल डाला।
बसन्त के आगमन का,
हाल सुना डाला।
नवल हरित पर्ण
झूम-झूम लहराए।
रंग-बिरंगे फूलों ने,
वन-उपवन महकाए।
बेला जूही गुलाब की,
सुगंधि से हृदय हर्षित हुआ जाए। […] -
Geeta kumari wrote a new post, पारिजात के फूल 1 week, 2 days ago
पारिजात के फूल झरे,
तन-मन पाए आराम वहां।
स्वर्ग से सीधे आए धरा पर,
ऐसी मोहक सुगंधि और कहां।
छोटी सी नारंगी डंडी,
पंच पंखुड़ी श्वेत रंग की।
सूर्य-किरण के प्रथम स्पर्श से,
आलिंगन करते वसुधा का।
वसुधा पर आ […] -
Geeta kumari wrote a new post, सूर्य कांत त्रिपाठी निराला 1 week, 3 days ago
“बदली जो उनकी आंखें
इरादा बदल गया।
गुल जैसे चमचमाया कि,
बुलबुल मसल गया।
यह कहने से हवा की
छेड़छाड़ थी मगर
खिलकर सुगंध से किसी का,
दिल बहल गया।”
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की,
“बदली जो उनकी आंखें” […]-
बहुत खूब
-
धन्यवाद मैम
-
-
कवि गीता जी की प्रखर लेखनी ने कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जी की सुन्दर स्मृति को प्रस्तुत किया है। बेहद संजीदा कविता है। लाजवाब लेखन है। उच्चस्तरीय काव्य
-
प्रेरणा प्रदान करती हुई समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद सतीश जी।
-
-
अतिसुंदर रचना
-
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
-
-
Very nice
-
Thank you pragya
-
-
-
Geeta kumari wrote a new post, मेरा मन 1 week, 3 days ago
किसी की सिसकियां सुनती थी अक्सर,
कोई दिखाई ना देता था।
देखा करती थी इधर-उधर,
व्याकुल हो उठती थी मैं,
लगता था थोड़ा सा डर।
एक दिन मेरा मन मुझसे बोला..
पहचान मुझे मैं ही […]-
कवि गीता जी की इस कविता में उच्चस्तरीय संवेदना है। इतनी शानदार कविता है यह कि तारीफ में शब्द कम पड़ रहे हैं। संवेदना औऱ शिल्प का अदभुत समन्वय है। भाषा जनोन्मुखी है। वाह वाह, एक श्रेष्ठ कवि की श्रेष्ठ कविता।
-
इतनी सुन्दर और प्रेरणा दायक समीक्षा हेतु हार्दिक आभार सतीश जी,अभिवादन सर 🙏
-
-
अत्यन्त, सुंदर भाव
-
बहुत-बहुत आभार भाई जी सादर धन्यवाद 🙏
-
-
बहुत सुंदर रचना
-
बहुत-बहुत धन्यवाद सर आपका 🙏
-
-
बहुत सुंदर रचना
-
-
Geeta kumari wrote a new post, शब्द-चित्र 1 week, 3 days ago
कहती है निशा तुम सो जाओ,
मीठे ख्वाबों में खो जाओ।
खो जाओ किसी के सपने में,
क्या रखा है दिन-रात तड़पने में।
मुझे सुलाने की कोशिश में,
जागे रात भर तारे।
चाँद भी आकर सुला न पाया,
वे सब के सब हारे।
समझाने आई […]-
फ़िर भोर हुई एक सूर्य-किरण आई।
छू कर बोली मस्तक मेरा,
उठ जाग जगा ले भाग,
हुआ है नया सवेरा।।
—– बहुत सुंदर पंक्तियां, लाजवाब कविता।भावना के साथ ही काव्य सृजन के मामले में भी कविता बहुत उत्कृष्ट हैं। कविता की भाषा में प्रवाह है, एक लय है। कवि गीता जी ने कम से कम शब्दों में प्रवाहपूर्ण सारगर्भित बात कही है।-
इतनी सुन्दर समीक्षा हेतु आपका हार्दिक आभार सतीश जी, बहुत धन्यवाद
-
-
बहुत खूब
-
बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी 🙏
-
-
- Load More
बहुत खूब
बहुत-बहुत धन्यवाद सर 🙏
वाह वाह बहुत खूब