Nitya Shukla
होली
May 18, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
पलाश की खुशबू लिए होली के रंग,
भिगो जाते हैं खुशियों की मस्ती में ।
गुलाल का गुबार भर देता है
ऑंखों में अल्हड सपने।
छटा ऐसे लुभाती है….
कि सूने मन में ,
पल भर में जीवन की रंगत भर जाती है।
फिर मिलन की आस लिए रास्ता निहारती,
अकेली सांझ आती है।
और यही सोचता है मन ,
- कि क्यों होली बरस में एक बार आती है।।।।।