मैं क्यों कन्हैया ?

July 8, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

(I)

मैया, ओ मेरी मैया!

क्यूँ कहती मुझे कन्हैया?

कृष्ण और मैं —

वो द्वापर का दुलारा,

मैं कलयुग का मारा।

वो नयनों का तारा,

मैं दिलों से हारा।

वो जगत में सबसे न्यारा,

मैं तो किसी को भी नही प्यारा।।

बता मेरी मैया,

क्यूँ बोले है तू मुझे कन्हैया?

(II)

ओ मेरे लाल,

मेरे बाल गोपाल —

कृष्ण और तू ?

कृष्ण देख यशोदा मुस्काये,

तोहे देख मोरा मन रिझाये।

वो दिल और माखन चुराये,

तू भी मेरा नींद चैन ले जाये।

वो यशोदा के घर में खुशियां लाये,

मैं भी धन्य हूँ, जो तोहे पाये।।

ओ मेरे लल्ला,

मैं तेरी यशोदा, तू मेरा कन्हैया।।

फिर मैं बोला —-

सारा काम तू करावे चाहत हो मैया,

इसलिए, तू कहे मोहे तेरो कन्हैया।।