जो सपने अधुरे रह गए

October 27, 2020 in हिन्दी-उर्दू कविता

जो सपने अधूरे रह गए
वही शब्दों में बदल गए
लिखना अब और नही है मुझे पर
अभी ज़िंदगी के कई और इंतिहाम रह गए ।।

अब तू ही बता दे क्या है तेरे इरादे
अभी और है क्या कुछ ख्वाब अधूरे
एक सिंपल life ही तो मांगी थी
ये कितना बोझ डाल दिया मेरे सिरहाने ।।

अब तुझसे सीखा है तुझपर ही आज़माये गए
याद रखना हार तो हम भी नही माने गए
हुआ ख्वाब पूरा तो ठीक, नही तो
नए ख्वाब के साथ फिर दरवाजा खटखटाये गए ।।