Satish Pandey
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Geeta kumari wrote a new post, *धूप हवा और चाँदनी* 8 hours, 13 minutes ago
मेरे घर के सामने वाले पड़ोसी ने,
अपने घर की इमारत ऊंची उठाई।
घर उनका है मैं कुछ कह भी ना पाई,
पर मेरे आंगन की धूप हवा और
चांदनी ने मुझसे शिकायत लगाई,
फ़िर मैंने बोला उनको,
मत करो इमारत की इतनी लंबी परछाई […] -
Geeta kumari wrote a new post, थल सेना दिवस 8 hours, 32 minutes ago
15 जनवरी को हम थल सेना दिवस मनाएं,
73वें थल सेना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
तिरंगे की शान हैं सैनिक,
भारत का मान हैं सैनिक,
पूरी रात जो जागे सीमा पर,
उसी का नाम है सैनिक।
रात होते ही हम, सुकून से सो जात […] -
Pt, vinay shastri 'vinaychand' wrote a new post, थल सेना दिवस पर देशक सिपाही केर सम्मान में मिथिला केर भाव 12 hours, 1 minute ago
हमर देशक सिपाही हमर शान छै।
देशक रक्षा में जिनकर प्राण छै।।
नञ भोजन केॅ कोनो फिकीर छै।
नञ छाजन केॅ कोनो फिकीर छै।।
जाड़ गरमी तऽ एकहि समान छै।
हमर देशक सिपाही हमर शान छै।। देशक रक्षा में…. […] -
Geeta kumari wrote a new post, मजबूरी 16 hours, 13 minutes ago
फेंक रहे थे जब तुम खाना,
मैं भोजन की आस में थी।
रोटी संग सब्जी जी भी है क्या,
मैं वहीं पास में थी।
तुमने शायद देखा ना होगा,
मैं काले मैले लिबास में थी।
तुम तो बैठे थे कार में अपनी,
मैं वहीं अंधकार […] -
Geeta kumari wrote a new post, मकर संक्रान्ति की बधाई 1 day, 15 hours ago
धीमी-धीमी धूप संग में,
मीठी-मीठी खुशियां लाई।
तिल, गज्जक की खुशबू लेकर,
सर्दी में संक्रान्ति आई।
मकर संक्रान्ति मनाना है,
गंगा जी में नहाना है
गंगा जी ना जा पाओ तो,
घर में जरूर नहाना है,
सर्दी है तो हुआ […]-
धीमी-धीमी धूप संग में,
मीठी-मीठी खुशियां लाई।
तिल, गज्जक की खुशबू लेकर,
सर्दी में संक्रान्ति आई।
— मकर सक्रांति पर कवि गीता जी की बहुत सुंदर और बेहतरीन रचना है यह। बहुत खूब। -
कविता की सुंदर समीक्षा हेतु आपका हार्दिक आभार सतीश जी , बहुत-बहुत धन्यवाद।
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बहुत खूब बहिन
मगर चूरा दही तो भूल गई
मकर संक्रांति संग खिचड़ी की बहुत बहुत बधाईयाँ-
सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
मकर सक्रांति की बहुत-बहुत बधाई
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Deepak Singh wrote a new post, मकर संक्रांति 1 day, 17 hours ago
काली रात बीत गई, नई सुबह आई है |
शुभ हुआ अशुभ पर भारी मंगल बेला आई है |
पौष माह की सर्द रातों का चंद्रमा, अब माघ माह में आया है |
सूर्य ने भी करवट बदली मकर संक्रांति की बेला पर, उत्तर दिशा की ओर निकला आज अपना तेज लेकर है | -
Pt, vinay shastri 'vinaychand' wrote a new post, लोहड़ी की बहार है 2 days, 5 hours ago
खुशियाँ अपार है
प्यार का त्योहार है।
वेहरे बीच आग जली
लोहड़ी की बहार है।।
गैया का गोबर पाथ-पाथ
पाथी लिया बनाय।
सुक्खा लक्कड़ काट-काट
लोहड़ी लिया सजाय ।।
घच्चक मूंगफली रेवड़ी
संग खिल्लां का भण्डार […]-
“जाड़े में अमृत है अग्नि ये कहते वेद-पुराण है।
‘विनयचंद ‘त्योहार नहीं ये अग्नि का सम्मान है।।”
लोहड़ी पर्व पर अग्नि जलाने की प्रथा को सम्मान रुप में दर्शाती हुई बहुत सुन्दर कविता -
खुशियाँ अपार है
प्यार का त्योहार है।
वेहरे बीच आग जली
लोहड़ी की बहार है।।
—– बहुत खूब, लोहड़ी को हार्दिक शुभकामनाएं -
बहुत खूब
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Geeta kumari wrote a new post, *क्या हुआ..है मौसम को* 2 days, 7 hours ago
क्या हुआ..
आज मौसम को,
बादल ही बादल हैं गगन में,
सूरज भी नहीं दिखा,
सर्दी बढ़ती ही जा रही
जाने क्या है इसके मन में,
धूप का ना नामो-निशां
कहां छिपी हैं सूर्य-रश्मियां,
थोड़ी सी तपन दे जाती
इस ठंडी-ठ […] -
Antariksha Saha wrote a new post, थक चुका हू मा 2 days, 9 hours ago
थक चुका हू माँ
मुझे सोने दे
इस झूठे दुनिया से
पक चुका हू
मुझे अपने साथ ले लेस्वार्थ से चलते लोग
मुखौटे पहने लोग
सरल पेड़ कटते जाते है
सरलता और मूर्खता मे कोई भेद नहीं हैदुन […]
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Geeta kumari wrote a new post, बढ़ती हुई बेरोज़गारी 2 days, 12 hours ago
बेरोज़गारी बढ़ती ही जा रही है,
सुरसा के मुख सम खुलती ही जा रही है।
चयन हुआ पर नियुक्ति नहीं है,
युवाओं की प्रतीक्षा बढ़ती ही जा रही है।
दो-दो वर्ष से प्रतीक्षा कर रहे युवा,
अब तो यह प्रतीक्षा […] -
Geeta kumari wrote a new post, आया लोहड़ी का त्यौहार 2 days, 13 hours ago
ढोल बजाकर आग जला कर,
आओ लोहड़ी मनाएं
तिल गुड़ की बर्फी बना कर,
सब मिलजुल कर खाएं
सरसों का साग और मक्का की रोटी
मक्खन संग खाओ, स्वादिष्ट बड़ी होती
रंग बिरंगी पतंग उड़ाएं
मिल-जुल कर त्यौह […] -
Antariksha Saha wrote a new post, वापसी का रास्ता 2 days, 14 hours ago
वो पुरानी गिटार पुरानी बाइक
वो गली वो नुक्कर वो चौबारे
वो बेहतर ज़िन्दगी बनाने के सपनेकोई छीन नहीं सकता वोह जज़्बा आगे आने का
वो खुली आँखों के सपने
वो रात के तारे गिनने के दिनआज अपार्टमेंट थोड़ा बड़ा ही ह […]
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Antariksha Saha wrote a new post, Move on 3 days, 2 hours ago
I still go to the place where we met
Blocked in facebook whatsup but
Still hopes for the bestYou have moved on
But still i wait for you
Those beaches are having chaos of others
Still i could see us in […] -
Rishi Kumar wrote a new post, क्या खोज रहे हो 3 days, 4 hours ago
कविता- क्या खोज रहे हो
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क्या खोज रहे हो,
कहाँ भटक रहे हो,
अंदर सुख हैं-
बाहर सुख नहीं हैं
खुद को मजबूत बना
हरदम लड़ अपने से,
जिस दिन विजय तू पायेगा,
ज्ञाने […]-
अतिसुंदर रचना
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धन्यवाद
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ऋषि जी आपके भाव सचमुच उच्चस्तरीय हैं। आपकी संवेदना की जड़ बहुत गहरी है। मैं चाहता हूँ कि आपकी लेखनी काफी ऊँचा उठे।
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उत्साहवर्धन के लिए समीक्षा के लिए हृदय के संपूर्ण गहराई से आपका आभार
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“मन मति मद चित्त रूह पर उस दिन ब्रह्म समान हो जाएगा,”
अनुप्रास अलंकार से सुसज्जित बहुत ही उत्कृष्ट पंक्तियां। ज्ञान को समर्पित बहुत सुंदर रचना-
बहुत बहुत धन्यवाद 😊🙏🏻🙏🏻
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Geeta kumari wrote a new post, *आत्म-बल* 3 days, 7 hours ago
कभी कोई कांटे बिछा दे राहों में,
कांटे चुन-चुन के दूर कर दो।
इस तरह बढ़ाओ आत्म-बल,
कि अरि के स्वप्न चूर कर दो।
अन्धकार कर दे कोई राहों में गर,
तो जला मशाल तिमिर दूर कर दो।
प्रतिकूल […]-
बहुत खूब
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सादर धन्यवाद भाई जी 🙏
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वाह बहुत सुंदर 👌👌👌
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बहुत-बहुत धन्यवाद ऋषि जी
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कभी कोई कांटे बिछा दे राहों में,
कांटे चुन-चुन के दूर कर दो।
इस तरह बढ़ाओ आत्म-बल,
कि अरि के स्वप्न चूर कर दो।
— कवि गीता जी यह प्रखर रचना है। अपने आत्मबल को ऊंचा रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है। कविता के भाव भी चिंतन के नये रचनात्मक सतह पर कविता को गढ़ने के यत्न से संबंधित है। बहुत खूब-
आपकी इतनी अच्छी समीक्षा हेतु धन्यवाद शब्द कम पड़ रहे हैं सर। प्रेरणस्रोत बनी समीक्षा हेतु आपका हार्दिक आभार सतीश जी
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Geeta kumari wrote a new post, *आग्रह* 3 days, 14 hours ago
ये सर्दी का मौसम,
ये कोहरे का नज़ारा
आज है ये आग्रह हमारा
कोहरे में डूबी,
यह सुन्दर-सुन्दर सुबह
जी भर के जी लें,
आओ ना एक कप चाय,
क्यूं ना साथ-साथ पी लें..
_____✍️गीता -
Geeta kumari wrote a new post, कला 3 days, 15 hours ago
अच्छे लोगों का,
अपनी ज़िन्दगी में आना,
सौभाग्य कहलाए
उन्हें संभाल कर रखना,
कहीं जाने ना देना
हमारी योग्यता कहलाए।
अनेक कलाएं हैं इस जहां में,
सबसे सुंदर कला क्या है
किसी के हृदय को छू लेना,
अब इससे बड […] -
Pt, vinay shastri 'vinaychand' wrote a new post, ठंढी में चाय 3 days, 15 hours ago
ठंढी का मौसम आया है।
संग मेरा मान बढ़ाया है ।।
पुलकित होकर कहता चाय।
बार – बार सब मांगते चाय।।
कभी खुशी कम हो जाती है।
जब बीच पकौड़ी आ जाती है।।
झुंझला के रह जाता ये चाय।
च्यवनप्राश क्यों आया भाय।। -
Geeta kumari wrote a new post, ख़यालात 3 days, 16 hours ago
ख़यालातों के बदलने से भी,
नया दिन निकलता है।
सुनो, सिर्फ सूरज चमकने से,
ही सवेरा नहीं होता।
हां ठंड में थोड़ी धूप भी जरूरी है,
बादलों के आने से अंधेरा नहीं होता।।
____✍️गीता -
Pt, vinay shastri 'vinaychand' wrote a new post, मानव जनम न बेकार करो 4 days, 8 hours ago
अमृत बेला है अतिपावन।
उठो रे तू छोड़ विभावन।।
हरि का सुमिरन कर लो रे।
सैर करो तू सुबह -सबेरे।।
शीतल मंद हवा सुखदाई।
योग प्रणायाम करो रे भाई।।
तन -मन को निर्मल कर लो।
मीठी वाणी मुख से बोलो।।
कर्मशील […]-
“कर्मशील बन रोजगार करो।
दीनन हित परोपकार करो।।
मानव जनम न बेकार करो।
‘विनयचंद’ भव पार करो।।”
कवि शास्त्री जी की बहुत ही बेहतरीन पंक्तियाँ और उम्दा कविता है यह, यह कविता प्रेरणात्मक काव्य-बोध का निरंतर विस्तार करने में सक्षम है। -
“अमृत बेला है अतिपावन। उठो रे तू छोड़ विभावन।।
हरि का सुमिरन कर लो रे।सैर करो तू सुबह -सबेरे।।”
कहते हैं कि सुबह सुबह प्रभु अमृत वर्षा करते हैं,तो उस बेला में यदि सुबह की सैर की जाए और प्रभु भजन किया जाए तो यह सेहत के लिए वरदान समान है। इसी कथन को समझाती हुई कवि विनय चंद जी की बहुत सुंदर कविता-
शुक्रिया बहिन
विछावन होना था टंकन त्रुटि सुधार पाठक के ही हाथ में है
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बहुत बहुत खूबसूरत
बहुत-बहुत धन्यवाद अनु जी