कहानी – हर साल की

December 31, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

जनवरी आता है , नयी उम्मीदों को पंख लगाता है,
फरवरी फर्र फर्र न जाने कब बीत जाता है ,
मार्च सुहाना मौसम लेकर आता है,
उम्मीदों को परवाज देते देते पहला तिमाही गुजर जाता है।

अप्रैल में चहुँओर फूल खिल जाते है ,
मई में सूरज देवता आग बरसाते है ,
जून का महीना पसीना पोछने में बीत जाता है,
आधा साल यूँ ही रीत जाता है।

जुलाई में रिमझिम मानसून बरसता है ,
अगस्त में नदी – नालो में उफान होता है ,
सितम्बर नयी अंगड़ाई लाता है ,
साल के नौ महीने बीत गए – धीरे से कहता है।

अक्टूबर में पेड़ो के पत्ते साख से झड़ जाते है ,
नवंबर में त्यौहार शुरू हो जाते है ,
दिसम्बर फिर सर्द हो जाता है ,
एक साल यूँ ही बीत जाता है।

हर साल कुछ दे जाता है ,
हर साल कुछ ले जाता है ,
समय का चक्र है ,
वक्त का पहिया चलता जाता है।

हिन्दुस्तान

August 12, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

जहाँ हिन्दू मिले जहाँ पर मुसलमान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं,
जहाँ हर मज़हब को एक सा सम्मान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं।

कहदो उससे जाकर जहां में हमारे मुल्क से अच्छा कोई मुल्क नहीं,
जहाँ गुरुग्रंथ बाईबल गीता और कुरान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं।

जिसने सदियों से संजोऐ रख्खा है इन मोतीयों को एकता के धागे में,
जहाँ आँगनों में तुलसी घरों में रहमान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।

हमारा वतन हमको जान से प्यारा है यही बस हमारे जीने का सहारा है,
जहाँ मंदिरों में घंटीयाँ मस्जिदों में अजान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।

हो जाएगी बेकार ये सब कोशिशें तुम्हारी हमको आपस में लड़वाने की,
जहाँ एक दूजे के लिए हथेलीयों पर जान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।

आखिर क्यों ना हो ग़ुमान हमको खुद पर अपने हिन्दूस्तानी होने का,
जहाँ भाईचारा जहाँ अमन ओ अमान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।

सिर्फ और सिर्फ वतन परस्ती यही हमारा धरम है यही हमारा करम है,
जहाँ दिलों की हर धड़कन में हिन्दूस्तान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते है ।

इस मिट्टी का दाना पानी बनके जिंदगी रगों में हमारी दौड़ रहा है
जहाँ हर क़तरा खून का अपने वतन पे कुर्बान मिले उसे हिन्दूस्तान कहते हैं ।

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