जज्बा

February 16, 2017 in Other

एक बार ठान ले तो एक पर्वत  है तू
जो अगर यूँ ही बीत जाने दे , तो रेत
जो एक आकार दे खुद को , तो एक मूरत है तू
जो बस यूँ ही छोड दे , तो गीली मिट्टी
जो तू चाहे तो खुद को रंगों में ढाल के इंद्रधनुष बन जा
जो बारिश के साथ बह जाये, तो मटमैला कर दे सब
तेरी किस्मत तेरे खुद के जज्बे से है
जज्बा रहा तो जिन्दादिली भी रहेगी
नहीं तो जिंदगी बिना जीवन सी रहेगी..