****जकड़ी है****
****जकड़ी है**** कुर्बानी से उपजी थी अब तस्वीरों में जकड़ी है, ऐ हिंद! तेरी आज़ादी सौ-सौ जंजीरों में जकड़ी है l हर मुफलिस की भूख ने इसको अपनी कैद में रख्खा है, और यही पैसे वालों की जागीरों में जकड़ी है l मां-बहनों पर दिन ढलते ही खौफ़ का साया रहता है, और हवस के भूखों की ये तासीरों में जकड़ी है l भ्रष्टाचार का दानव इसको बरसों-बरस सताता है, ये संसद की उल... »