नारी…..

ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै हाँ ! नारी हूँ मैं ……… कभी जन्मी कभी अजन्मी हूँ मैं , कभी ख़ुशी कभी मातम हूँ मैं…

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

बिटिया

दुनिया का भी दस्तूर है जुदा, तू ही बता ये क्या है खुदा? लक्ष्मी-सरस्वती, हैं चाह सभी की, क्यों दुआ कहीं ना इक बेटी की…

परी

मिट्टी से गढ़ी है,  नन्ही सी परी है,  ना माँ की दुलारी, ना बाबा की प्यारी, ये सङकें ही घर है इसका , यहीं सारा जग…

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ब्रह्मा-ऋषि-मुनि-चरक का तो ये देश हो सकता नहीं ,, क्यूँ बताते हो डॉक्टर पेट में बेटी है बेटा  नहीं ..!!

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