बेटी से सौभाग्य
बेटी है लक्ष्मी का रुप, मिलतीं है सौभाग्य से, घर का आंगन खिल जाता है, उसकी पायल की झन्कार से। बेटी ही तो मां बनकर,…
बेटी है लक्ष्मी का रुप, मिलतीं है सौभाग्य से, घर का आंगन खिल जाता है, उसकी पायल की झन्कार से। बेटी ही तो मां बनकर,…
बेटी घर की रौनक होती है बाप के दिल की खनक होती है माँ के अरमानों की महक होती है फिर भी उसको नकारा जाता…
तुम शान थी मेरी , तुम मान थी मेरी , तुम अभिमान थी मेरी , इस दुःख भरी दुनिया में ,खुशियों की पहचान थी मेरी…
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
उसको समझना बड़ा मुश्किल होने लगा, कोई भी बहाना न उस पर चलने लगा, छोटी से न जाने कब बड़ी हुई मेरी बेटी, के अब…
मेरी शान है बेटी अभिमान है बेटी हर मुश्किल में साथ है बेटी -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
पायल की खनक रुनझुन सुखद एहसास करती है आंगन में बेटी जब छन छन करती आती है -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
उस पल को तो आना ही था, तुझको विदा हो जाना ही था, ये रीती रिवाजों की ज़ंज़ीर थी, जिसमे तुझे बन्ध जाना ही था,…
माँ मुझे भी इस दुनिया में ले आओ न इस जग की लीला मुझे भी दिखलाओ न खुले आसमान के नीचे मुझको घुमाओ न अपनी…
सब कुछ चाहिए जुबाएँ ना साथ देती, जब आती है रिश्ते शादी की जुबाएँ पर मिठास होती, देख अच्छे से ऐसी — वैसी बात होती–…
शीर्षक – मृत्योपरांत स्मरण (एक बेटी के भाव अपने पिता की मृत्यु पर ) जिसने हाथ पकड़कर चलना सिखाया आज साथ छोड़ कर जा रहा…
केवल बेटी ही नही, बेटे भी घर जाते। दो जुम के रोटी के लिए अपना घर– परिवार छोड़ जाते। जो आज तक पला बाप के…
आँखों ही आँखों में जाने कब बड़ी हो जाती है बिन कुछ कहे सब कुछ समझ जाती है जो करती थी कल तक चीज़ों के…
ताल्लुक संस्कृति से अपना वो खुल के दिखाती है, बेटी इस घर की जब गुड़िया को भी दुप्पट्टा उढ़ाती है।। राही (अंजाना)
जवाब… बस देती ही रही हूं जवाब… घर जाने से लेकर घर आने का जवाब… खाने से लेकर खाना बनाने का जवाब… बस देती ही…
इतिहास है आज भी जिस पर मौन, वह है आखिर कौन, वह है आखिर कौन? जो लड़ता रहा हर समय किसी के लिए, और मरता…
इतिहास है आज भी जिस पर मौन, वह है आखिर कौन, वह है आखिर कौन? जो लड़ता रहा हर समय किसी के लिए, और मरता…
जमाने में रहे पर जमाने को खबर न थी ढिंढोरे की तुम्हारी आदत न थी अच्छे कामों का लेखा तुम्हारा व्यर्थ ही रह गया हमसे…
मुहँ लटकाए आख़िर तू क्यो बैठा है इस दुनिया में जो कुछ भी है पैसा है दुख देता है घर में बेटी का होना चोर…
मुहँ लटकाए आख़िर तू क्यो बैठा है इस दुनिया में जो कुछ भी है पैसा है दुख देता है घर में बेटी का होना चोर…
जब तक है जीवन तब तक इस की सेवा ही आधार रहे विष्णु का अतुल पुराण रहे नरसिंह के रक्षक वार रहे हे प्राणनाथ! हे…
नमस्कार दोस्तों आप सब देख रहे हैं आज कल बच्चियों के साथ कुछ बहेशी दरिन्दे जो कर रहे हैं दो शब्द आज लिखने पर मजबूर…
क्या था क़सूर मेरा????? (पीड़ित बेटी आसिफ़ा के सवाल) 1.गहन गिरवन सघन वन में बहुत खुश अपने ही मन मे मूक पशु पक्षी के संग…
क्या था क़सूर मेरा????? (पीड़ित बेटी आसिफ़ा के सवाल) 1.गहन गिरवन सघन वन में बहुत खुश अपने ही मन मे मूक पशु पक्षी के संग…
उसकी आबरु को यहाँ छीन लिया जाता हैं, जिस देश मे”बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ” का नारा दिया जाता हैं, हर छोटे मसले पर यहाँ बड़े फैसले…
बांधकर बेड़ियों से कोमल पैरों को खींच कर, घर की चौखट के बाहर वो कभी जाने नहीं देते, हिम्मत जो जुटाती है बेटी कोई पढ़ने…
आज मैंने वक़्त को महफील में बुलाया…. बहस तब छिड़ी जब वक़्त ही वक़्त पर ना आया… सबने आरोप लगाये लोग आगबबूला हुए… और वक़्त…
अटल अविचल धर पग बढ़ नारी जीवन मे नव इतिहास गढ़ नारी नारी है तू यह सोच न कमतर कम॔ कर तू अभिनव हटकर तुझसे…
शिव की शक्ति बनकर तूने हर एक क्षण साथ निभाया नारी, पिता- पती के घर को तूने हर एक क्षण महकाया नारी, हर एक युग…
महिला दिवस पर प्रत्येक महिला को समर्पित ये छोटा सा लेख।। तेरी शान से ही तो हर पल मेरी शान है, जहाँ-जहाँ तू कदम रखे…
हमारी आन, मान, शान “हिंदी” ……………………………………… भावनाओं का सागर हो दिल में, तो एक कश्ती उतरती है, विचारों की बाहों में बाहें गूँथ कर, लहरों…
नये साल की पवन बेला पर पहुचे तुम्हे बधाई.. देश प्रेम है धर्म हमारा,हम सब हैं भाई भाई .. मान और सम्मान बढे,जीवन हो श्रेष्ठ…
फ़क्र है हमें, नाज है हरियाणा की बेटी तू भारत की शान है|
मैं बेटी हूँ….. मैं गुड़िया मिट्टी की हूँ। खामोश सदा मैं रहती हूँ। मैं बेटी हूँ….. मैं धरती माँ की बेटी हूँ। निःश्वास साँस मैं…
‘ माँ ’ माँ को खोकर हुआ माँ की ममता का एहसास, पाना चाहा था माँ को और प्रतिबिम्बों में, पर कहीं नहीं मिला माँ…
जिम्मेंदारी को जब उसने महसूस किया तो, ऑटो रिक्शा भी चलाने लगती हैं वो ! पढ़ लिख के सक्षम होकर के वो अब, अंतरिक्ष में…
अँधेरे कमरे से बाहर अब मैं निकलना चाहती हूँ, माँ की नज़रों में रहकर अब मैं बढ़ना चाहती हूँ, धुंधली न रह जाए ये जिन्दगी…
बचपन से ही सहती हूँ, मैं सहमी सहमी रहती हूँ, छुटपन में कन्या बन कर संग माँ के मैं रहती हूँ, पढ़ लिखकर मैं कन्धा…
मैं बेटी हूँ फिर भी मैं अकेली हूँ मैं सबकुछ नहीं कर सकती क्योंकि मैं बंधन में बंधी हूँ किसी को मैं पसंद नहीं तो…
माँ,मैं तेरे हर सपने को सच करके दिखाउंगी तेरे हर मुसीबत मे तेरे, मैं भी काम आउंगी रोशन कर दूंगी मैं तेरा नाम इस…
माँ की कोख में ही दबा देते हो, मुझको रोने से पहले चुपा देते हो, आँख खुलने से पहले सुला देता हो, मुझको दुनियां की…
कन्या बचाओ खुद कन्या कहती है- मुझको बचाओ तुम मुझको बचाओ, सपना नहीं अब हकीकत बनाओ, बेटा और बेटी का फर्क मिटाओ, बेटी बचाओ अब…
क्या इस साल भी लड़ना है तुमको धर्म और जाति के नाम पर क्या इस साल भी लुटने देनी है लड़की की इज़्जत नीलाम…
॥ बेटी के लिए एक कविता ॥ “अ—परिभाषित सच !” डरते—सहमते—सकुचाते मायके से ससुराल तक की अबाध—अनिवार्य यात्रा करते हुए मैंने; गांठ बांधी पल्लू से…
नन्ही चिड़िया है बेटी आँगन के बीच चहकने दो कली कमल की है बेटी बगिया के बीच महकने दो मीठी सी मुस्कान है बेटी हर्षित…
एक शहीद सैनिक दिल्ली से क्या कहना चाहता होगा इसी विषय पर मेरी एक कल्पना देखें- सुलग उठी है फ़िर से झेलम हर कतरा अंगारा…
“अब डर सा लगता है सुबह-सुबह अखबार पकड़ने से” “न जाने कौन देश की बेटी, देश का जवान या देश का स्वाभीमान , लूट लिया…
मेरी कलम नहीं उलझी है माशूका के बालों में, मेरे लफ्ज नहीं अटके हैं राजनीति की जालों में, मैने अपने अंदर सौ-सौ जलते सूरज पाले…
दुखी हो जाता है मन मेरा भी जब जब दुखी तुझे मैं पाता हूँ क्या बोलूँ मैं दर्द मेरा टूट सा पूरा जाता हूँ …
लेख जिस तरह से एक शिकारी जाल फैलाता है और उसके जाल में शिकार खुद व खुद आकर फंस जाता है, उसी तरह कलयुग के…
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