कुमाऊँनी : पर्वतीय कविता Satish Chandra Pandey 4 years ago झम झमा बरखा लागी ऐ गौ छ चुंमास डाना काना छाई रौ छ हरिया प्रकाश। त्वै बिना यो मेरो मन नै लिनो सुपास, घर ऐ जा मेरा सुवा लागिगौ उदास। पाणि का एक्केक ट्वॉप्पा