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कुमाऊँनी : पर्वतीय कविता

झम झमा बरखा लागी
ऐ गौ छ चुंमास
डाना काना छाई रौ छ
हरिया प्रकाश।
त्वै बिना यो मेरो मन
नै लिनो सुपास,
घर ऐ जा मेरा सुवा
लागिगौ उदास।
पाणि का एक्केक ट्वॉप्पा

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