अंकुर विस्तार पाकर व्रक्ष रूप धर लेता है राही अंजाना 6 years ago अंकुर विस्तार पाकर व्रक्ष रूप धर लेता है, जिंदगी का ये पौधा कभी विश्राम नहीं लेता है, सिकुड़ जाते हैं रिश्ते तो सिकुड़ जाने दो इन्हें, जिंदगी जिंदगी है मान लो इसे कोई थाम नहीं लेता है।।