वर्णों से सुशोभित आखर

ज़रा ध्यान से देखो हिंदी हमारी भारतीयता की गौरव की कहानी स्वयं माथे बिंदिया चुनरिया ओढ़कर भारतीय सभ्यता संस्कृति दर्शाती दिन प्रितिदिन की बोलचाल में…

वर्णों से सुशोभित आखर

ज़रा ध्यान से देखो हिंदी हमारी भारतीयता की गौरव की कहानी स्वयं माथे बिंदिया चुनरिया ओढ़कर भारतीय सभ्यता संस्कृति दर्शाती दिन प्रितिदिन की बोलचाल में…

अज़ीयत

आसान नहीं है हर दर्द को सीने से लगा कर ज़िंदा रहना, हमने खुद अपना गरेबान चाक किया है तब जाके ये हुनर ​​पाया है

सावन

गूँज उठा है ये संसार चारों ओर है जय जयकार मग्न हो करके थिरक रहे हैं शंकर शम्भू के शिवगण आज जाते हर वर्ष हरि…

मेरी तुम

दुनिया के सब सितारे तुम्हेँ देख जगमगाते हैं, दुनिया की सब नदियों में तुम्हारी आवाज़ बहती है फूल कोई भी हों मुझे उनमें तुम्हारे देह…

तू, ख्वाब और मन

ख्वाबों की उड़ान मेरे मन की गहराई से, भावनाओं के रंग आपके संगीत की सहेलियों से। सूरज की किरणों में छलकती है खुशियों की धारा,…

तू, ख्वाब और मन

ख्वाबों की उड़ान मेरे मन की गहराई से, भावनाओं के रंग आपके संगीत की सहेलियों से। सूरज की किरणों में छलकती है खुशियों की धारा,…

उस वक्त से

नजदीकियों का पता नहीं दूरियां ऐसे लिपटी है मुझसे रोना था फिर भी कैसे सबर होता उस वक्त से || बीत जाता है वक्त खर्च…

शून्यता…

चढ़ती हुई धुंधलाहट, बादलों में छुपता सूरज, उतरता हुआ नशा शराब का और चढ़ता हुआ नशा तुम्हारा इन तारो को जब मैने चांद के सामने…

मेरा प्रेम

समंदर सा प्रेम मेरा, तुम्हे केवल अश्रु भर की खबर। न जान पाओगे समंदर की गहराई, चाहे कितना भी डूबकर… ~अकांक्षा

Papa ki chaya mein

अपनी इच्छाओं को दबाते चले गए मेरे सपनो को अपना बनाते चले गए मुझे कभी अहसास भी नही कराया कि वो अपने ख्वाब छुपाते चले…

फिर से..

वह पन्नों को पलटाके फिर एक बार देखा, जो सच्चाई से वाक़िफ न हुई थी। अश्क के उन अक्षरों को पढ़ा, जिन्हें तस्सली फिकी मुस्कान…

ग़ज़ल

मुझे ही नज़र मे बसाती है दुनिया नज़र भी मझी से चुराती है दुनिया ये दुनिया मेरे साथ चलती तो कैसे कदम जब ना मुझसे…

खामोशियां

अक्सर लम्बी बातें होती, पर कभी उनमें वह बात नहीं थी! खामोशियोंने आज जो काम किया है बिना समझाए सब समझ आ गया है हालाकि…

हँसी।

हँसी भी क्या चीज है जनाब कभी खुशी के मौके पर आ जाती है तो कभी रोते हुए । कभी खुशियोंका का पैगाम लाती है…

मजदूर

काफी दूर चले आए थे , रिश्तों को निभाते निभाते , खबर मिली की सब कुशल है , मगर खुद को खो दिया सबको पाते…

ईश्क़

वो अक्सर गुम रहती है ख़्यालों में, उसके वो ख़्याल हो जाने के ख़्वाब बुनता हूँ मैं। वो आँखों से बातें करती है, मैं अपनी…

Aankh

आँख ऐसी कि कमल तुमसे निशानी मांगे , जुल्फ ऐसी कि घटा शर्म से पानी मांगे | हुस्न ऐसा कि अजंता का अमल याद आये,…

खुद से नाराज़ हूँ मैं

तोल-मोल, लेन-देन आंसुओं की भी कीमत समझाएं रिश्ते भी कैसे-कैसे रूप दिखाएं। रिश्तो को निभाते-निभाते खुद को ढूंढ रही हूँ मैं हाँ! खुद से नाराज…

हाथ

मैंने जितना हाथों को देखा, उतना चेहरा नहीं देख पाई; जब उसने अपनी उँगलियाँ मेरी उँगलियों में उलझाईं, मुझे मेरा चेहरा नहीं दिखा; बस ये…

पापा

उठा के फर्श से अर्श तक के सफर में हर कदम साथ चलते हैं पापा डर हो मन में किसी बात का हममें उंगली थाम…

Prem hua hai

प्रेम हुआ है!! बचकानी सी हरकतें सुहानी लगने लगती हैं किसी की हलकी मुस्कराहट ज़िंदगानी लगने लगती हैं हर पल मनो एक नया एहसास मनो…

तुम मुझे

तुम मुझे एकांत में में मिले सुख का पर्याय लगती हो तुम मुझे मेरी हर समस्या का उपाय लगती हो और लगती हो तुम मुझे…

कौन हो तुम?

माँ की ममता से लेकर पापा के ताने तक भाई की सगाई से लेकर बहिन की बिदाई तक माशूका की परेशानी से लेकर बीवी की…

जिंदगी

चलो हसने की हम एक वजह ढूंढते है, जहा न हो कोई गम वो जहां ढूंढते है, बोहोत उड़ लिए आसमान में यारों चलो जमीन…

New Report

Close