अंतस में दिए जलते, रोशनी आसमां तक हो Pragya 3 years ago तू जर्रों की तरह उड़कर मेरी सांसों में मिलता है ये मन योगी हुआ तन भस्म देखो मलता रहता है अन्तस में दिये जलते रोशनी आसमां तक हो पुष्प जोगी बने फिरते कहो फिर इश्क कैसे हो !!