Site icon Saavan

अंधा कानून

सोचा था क्या हम सब ने!
ऐसा घ्रणित समाज,
हर दूसरा चेहरा
वहशी घिनौना आज।
लगता कि जैसे हो गए
सब मानसिक रोगी

दहशत की बोलती है
अब हर जगह ही तूती
सब धर्मों के पुजारी सबसे बड़े अधर्मी
न्याय कहां घिसटता उम्र बीत जाती
दुष्टों को लेके जाने से तो मौत भी कतराती।
निठारी कांड के अपराधी जिंदा अभी तक क्यों हैं?
ना जाने कितनी निर्भया तो फाइलों में बंद है
अंधा यहां पर इतना कानून आखिर क्यों है ?
बेखौफ है अपराधी मासूम डरता क्यों है?
लगता की दहशत गर्द को दू देश से निकाला
फिर से अमन का भारत यह देश हो हमारा।
निमिषा सिंघल

Exit mobile version