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अंधेरा

घनघोर अन्धेरा छा रहा हैं
इंसान का ईमान डगमगा रहा हैं
किसका अब कौन सुन रहा हैं
भगवान भी जाग कर सो रहा हैं

सच्चाई पर कोहरा छा रहा हैं
झुठ पर बादल मड़रा रहा हैं
सत्य अहिंसा के पुजारी पर
ग्रह का साया छा रहा हैं

मारो लुटो खाओ जग को
हिंसा मानव में समा रहा हैं
पाप पुण्य का नाम अब
धीरे धीरे खो रहा हैं

इंसान में दुरिया अब आ रहा हैं
जीवन का सूकुन छिड़ता जा रहा हैं
परमपंरा में कलयुगी व्यधा छा रहा हैं
धर्म के चक्कर में खुन की नदिया बहा हैं

महेश गुप्ता जौनपुरी
मोबाइल – 9918845864

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