अजीब इत्तिफाक था
याद है……
छत पे हमारा चोरी छिपे मिलना
तुम्हारे पिताजी के आते ही
बिजली का चले जाना
अजीब इत्तिफाक था
एक छतरी में कॉलेज से घर आना
तुम्हारा गले मिलने का मन
और बिजली का कड़क जाना
अजीब इत्तिफाक था
तुम्हारे गांव सिंदूर ले कर आना
मेरे मंदिर पहुंचने से पहले
तुम्हारा गांव छोड़ कर जाना
अजीब इत्तिफाक था
भरे बाजार तेरी याद में रोना
मेरी फजीहत बचाने को
वो बिन मौसम बरसात का होना
अजीब इत्तिफाक था