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अद्भुत तुम

तानाशाह से तुम!
क्रोध की तीव्रता में
कर देते….
सब कुछ हवन।
बचपन में झेली गई
मानसिक प्रताड़ना,
ने बना दिया तुम्हे शिला,
ज्यो थीअंदर से नरम।
प्यार भी आंखें दिखा- दिखा करते हो,
हंसी आती है तुम्हारी इस बनावटी शक्ल
और बच्चों सी अक्ल पर।
अद्भुत हो तुम अपने आप में,
तुम सा बिरला ही कोई होगा इस पूरे ब्रह्मांड में।

निमिषा सिंघल

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