अपनी पलकों को इतना मत झपकाया कर,
तू मेरे दिल को इतना मत धड़काया कर,
हर बात तेरी किसी ज़ुबां की मोहताज तो नहीं,
तू चुप रहकर भी अपने एहसास मुझे बताया कर,
हवाओं को किसी शिफारिश की ज़रूरत कहाँ,
तू जो है बस वही बनकर मेरे करीब आया कर।।
राही (अंजाना)
अपनी पलकों को इतना मत झपकाया कर,
तू मेरे दिल को इतना मत धड़काया कर,
हर बात तेरी किसी ज़ुबां की मोहताज तो नहीं,
तू चुप रहकर भी अपने एहसास मुझे बताया कर,
हवाओं को किसी शिफारिश की ज़रूरत कहाँ,
तू जो है बस वही बनकर मेरे करीब आया कर।।
राही (अंजाना)