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अफ़सोस

किसी को देख, ना कर अफ़सोस ।
यूँ ना अपनी किस्मत को तू कोस ।

भले ही तन से नहीं हैं हम पास,
भले ही ना ले सकूँ तुझे आगोश ।

पर मन तो एक दूजे के पास ही है,
दिल की सदा सुन, ज़ुबां है ख़ामोश।

ख़ुदा ने एक दूजे के लिए ही बनाया,
आंखें मूंद, नज़र आएगी फ़िरदौस।

देवेश साखरे ‘देव’

सदा- आवाज़, फ़िरदौस- स्वर्ग

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