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अब होश ना रहे

ऐ साकिया अब होश ना रहे, तू इतना पीला ।
फिर ना जिंदगी से करूं, कोई शिकवे-गिला ।

करते रहे हम सारी उम्र, बेपनाह बवफाई,
बेवफाई के सिवा हमें, और कुछ ना मिला ।

जिसे ज़िंदगी समझा, उसने ही लूट ली जिंदगी,
मेरी मुहब्बत का तूने, दिया है अच्छा सिला ।

बागबां ने ही उजाड़ कर रख दिया, खुद बाग,
फिर ना कभी बहार आई, ना कोई गुल खिला ।

अब ना रही जिंदगी से कोई, जुस्तजू ना आरज़ू,
खुद ‘देव’ माँगे ख़ुदारा बस मुझे तू मौत दिला ।

देवेश साखरे ‘देव’

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