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अहो! ठंडक अब तो कम हो जा

अब सूर्य उत्तरायण में चले गए हैं,
अहो! ठंडक अब तो कम हो जा,
ठिठुरते हुए बडी मुश्किल से खुद की,
जिन्दगी को अब तक रख पाया हूँ बचा।
गलतियां जितनी भी हैं पूर्वजन्म की,
लेकिन अब तो बहुत हो गई
इस मौसम में सजा,
अब धीरे-धीरे गर्मी ला,
मच्छरों पर ताली पिटा।
इस सड़क के किनारे
बहुत हो गया मेरा सिकुड़ना,
अब पैर फैला कर लेटने दे,
अब बन्द कर दे
ठंडी ओस छिड़कना।

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