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अक़ीदत

तेरी अक़ीदत मेरी इबादत
तेरी ज़ीनत(श्रृंगार) मेरी सलत (prayer)

तुझसे मिलाने के लिए उस खुदा का शुकराना,
तेरी चाहत में इस नाचीज़ का कबूल कर नज़राना

ऐसा क्यों लगता हैं की ज़िन्दगी के कुछ पल नासार हैं
तेरे साथ इस जनम का नहीं बाकी के सारे जन्मो का साथ हैं,

तुझसे से बस एक ही दुआ हैं मेरी
की मौत भी ना जुदा कर पाए ये साथ तेरी

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