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आंखों से बरसता नेह

काली कजरारी आंखों से जब मेघ बरसता है
आंसू में बह कर वह नेह निकलता है
खूबसूरत लगती हो तुम
जब पौछती जाती हो
दुपट्टे के कोने से
उन आंसुओं की धारा
बहता सा काजल उजला सा चेहरा
कुछ यूं चमकता है
जैसे काले बादलों से चांद निकल आया
तुम्हें देख कर लगता है मुझे
सावन की उजली खिली खिली धूप का तुम साया।
निमिषा सिंघल

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